भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जब छेड़ा मुजरिम का क़िस्सा / गौतम राजरिशी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
वीनस केशरी (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गौतम राजरिशी |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem> जब छेड़ा मुजरिम…) |
|||
पंक्ति 26: | पंक्ति 26: | ||
कहती हैं बारिश की बूंदें | कहती हैं बारिश की बूंदें | ||
सुन लो तुम रिमझिम का किस्सा | सुन लो तुम रिमझिम का किस्सा | ||
+ | |||
+ | ''{त्रैमासिक युगीन-काव्या, जुलाई-सितम्बर 2009}'' | ||
</poem> | </poem> |
12:52, 28 सितम्बर 2010 का अवतरण
जब छेड़ा मुजरिम का किस्सा
चर्चित था हाकिम का किस्सा
जलती शब भर आँधी में जो
लिख उस लौ मद्धिम का किस्सा
सुन लो सुन लो पूरब वालों
सूरज से पश्चिम का किस्सा
छोड़ो तो पिंजरे का पंछी
गायेगा जालिम का किस्सा
जलती बस्ती की गलियों से
सुन हिंदू-मुस्लिम का किस्सा
बूढ़े मालिक का शव बोले
दुनिया से खादिम का किस्सा
कहती हैं बारिश की बूंदें
सुन लो तुम रिमझिम का किस्सा
{त्रैमासिक युगीन-काव्या, जुलाई-सितम्बर 2009}