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"फूल हो के / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर

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20:48, 5 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

       फूल हो के

टहनियों की छातियाँ उठने लगी हैं
गीत मेरे
अब न खा जाना कहीं धोखे
        फूल हो के

रंग आये हैं
लुभाने पाँव लेकर
जिस तरह
मल्लाह आये नाव लेकर

        (इन्द्रधनु वातावरण में
         खो न जाना फूल हो के)

गीत मेरे
बड़ी मुश्किल से तुम्हें
मोड़ा गया धूप ढो के