भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गंध नमस्कार की / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश रंजक |संग्रह=गीत-विहग उतरा / रमेश रंजक }} {{KKCatNav…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=रमेश रंजक | |रचनाकार=रमेश रंजक | ||
− | |संग्रह=गीत | + | |संग्रह=गीत विहग उतरा / रमेश रंजक |
}} | }} | ||
{{KKCatNavgeet}} | {{KKCatNavgeet}} |
12:18, 8 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
झुकी कहीं फूलवती वेणी कचनार की
चौतरफ़ा फैल गई गंध नमस्कार की ।
आँगन-सा लीप गई
चंचल आकृतियाँ
मौसम ने अँजुरी भर
सौंपीं स्वीकृतियाँ
अपनापन घोल गई संध्या शनिवार की ।
छू-छू संजीवनी
हवाओं के झोंके
सोते से जगा गए
गीत धमनियों के
तन्द्रा-सी टूट गई अनबोले तार की ।