भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"इन्द्रधनुष झूले / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश रंजक |संग्रह=गीत विहग उतरा / रमेश रंजक }} {{KKCatNav…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:26, 8 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
झील किनारे
पाँव पखारे
सन्ध्या गंध भरी
सूरमुखी देह की छाया लगी सोनमछरी ।
मंजीरे-सी बजीं
चूड़ियाँ हाथें की
जल की
तन-मन पर सिहरी
आलोकित छवि
हल्की-हल्की
जगह-जगह समकोण बनाती दीपशिखा उभरी ।
आदमकद शीशे में
गीले इन्द्रधनुष
झूले
महक गए सीमान्त
स्नेह के फूले-
अनफूले
छाँह पहाड़ी चढ़ी शिरीष पर कंचन की गगरी।