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"सच / कविता गौड़" के अवतरणों में अंतर

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10:53, 23 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

सच होता ही है कड़वा सच
सच छुपता ही नहीं छुपाने से ।।

सच बोलता है जो हमेशा
जाता है वह इस ज़माने से ।।

सच को पकड़ कर जो चलता है
पीछे रह जाता है वह ज़माने में ।।