भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रात अन्धेरी में पहाड़ी की डरौनी मूर्ति / बाबू महेश नारायण
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:10, 20 सितम्बर 2009 का अवतरण
रात अन्धेरी में पहाड़ी की डरौनी मूर्ति
कैफ़ियत एक मनोहर थी वह पैदा करती-
एक कैफ़ियत मनोहर
देखें तो होवें शशदर
सुन्दर भयंकर।
दरख़्तों की हू हू, पबन की लपट,
निशा मय प्रकृति वो कर्कश समय
घनाघोर धुप में दमक दामिनि की
स्वरूपीय भय के समागत थे सेना,
महादेव यम राज्य स्वाधीन करते