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मजदूर का जन्म / केदारनाथ अग्रवाल

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एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
हाथी सा बलवान,

जहाजी हाथों वालाऔर हुआ !

सूरज-सा इंसान,

तरेरी आँखोंवाला और हुआ !!

एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!
माता रही विचारः

अँधेरा हरनेवाला और हुआ !

दादा रहे निहारः

सबेरा करनेवाला और हुआ !!

एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
जनता रही पुकारः

सलामत लानेवाला और हुआ !

सुन ले री सरकार!

कयामत ढानेवाला और हुआ !!

एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !

( कविता संग्रह, "कहें केदार खरी खरी" से )