दूवा 11-20 / सत्येन जोशी
मन में मागा मोकळी, देवौ मुलक बिसाय।
सैण सांकड़ा ही मला, आंगण औछौ नाय।11।
छूटयौ कोनी आंगणौ, छूट गयौ पण सांस।
माटी में माटी मिळी, रह्या पास रा पास ।12।
करी राज री चाकरी, मन अर मगज खपाय।
देस-निकाळौ दे दियौ, आंगण दियौ छुडाय।13।
अेक आंगणै में उग्या, नीम अर तुलछी दोय।
तुलछी तौ सैं पूजली, नीम न पूज्यौ कोय।14।
मुळकण लागौ आंगणौ, मुलकण लागी भींत।
सायत कोई आयग्यौ, मन चायोड़ौ मीत।15।
चेला, गुरू नै ग्यान दै, गुरू ढोक दै पाव।
लोकतंत्र हाथां तणौ, माथा कुण मोलाय।16।
राजा चढग्या चाकरी, प्यादा हुया वजीर।
उथल पुथल री राड़ में, फजलू हाल फकीर।17।
गनौ गरज रौ गोठियौ, बाकी थोथौ हेज।
काचौ ताणौ टूटतां, कद लागै है जेज।18।
कैड़ौ चाल्यौ वायरौ, टूटी जूनी काण।
कुण तौ सरग बसां लिया, कुण रै धुकै मसाण।19।
कूवै, कूवै भांग है, मनड़ै, मनड़ै मैल।
गतराजां री गोठ में, गाफळ बाजै छौल।20।