भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ॐ जय श्री श्याम हरे / आरती

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:48, 29 मई 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अष्टक   ♦   आरतियाँ   ♦   चालीसा   ♦   भजन   ♦   प्रार्थनाएँ   ♦   श्लोक

   
ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत, अनुपम रुप धरे॥
रत्न जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुले।
तन केशरिया बागों, कुण्डल श्रवण पडे॥
गल पुष्पों की माला, सिर पर मुकुट धरे।
खेवत धूप अग्नि पर, दिपक ज्योती जले॥
मोदक खीर चुरमा, सुवरण थाल भरें।
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करें॥
झांझ कटोरा और घसियावल, शंख मृंदग धरे।
भक्त आरती गावे, जय जयकार करें॥
जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे।
सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम श्याम उचरें॥
श्री श्याम बिहारी जी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत मनोहर स्वामी मनवांछित फल पावें॥
ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
निज भक्तों के तुम ने पूर्ण काज करें॥
ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत, अनुपम रुप धरे॥ ॐ जय श्री श्याम हरे...