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कविता कोश के बारे में टिप्पणियाँ

Kavita Kosh से
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डा. मृदुल कीर्ति

ये है कविता कोश अनुपम, अलंकारों से जड़ा,
जितना लूटोगे इसे आश्चर्य मय! उतना बढ़ा
हीरक मणि सी भावनाएं, विज्ञ लोगों ने गढी
कोश कविता का खुला है, पा सकें जिसने पढीं.
थामतीं हैं भावनाएँ, हो विषादों की घड़ी
इनकी तन्मयता निरंतर, ब्रह्म से होतीं जुडी.
जब कोई साथी हमें, मिलता नहीं परिवेश में,
साथ साँचा पा सकेंगे, मित्र "कविता कोश" में

रूपसिंह चन्देलकविता कोश ने दो वर्ष की यात्रा सफलता-पूर्वक पूरी कर तीसरे वर्ष में प्रवेश कर रहा है. इसके माध्यम से आपने हिन्दी के लिए अमूल्य कार्य किया है. हिन्दी कविता को विश्व-मानचित्र में सुस्थापित करने का जो गौरवपूर्ण कार्य आपने किया है वह श्लाघनीय है. मेरा विश्वास है कि कविताकोश की यह यात्रा निरंतर जारी रहेगी. इस अवसर के लिए आपको मेरी ढेर सारी बधाई.
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द्विजेन्द्र 'द्विज'

हिन्दी काव्य सृजन के विविध रूप—रंग विश्व—व्यापी पाठक वर्ग के समक्ष कविता कोश के रूप में लाकर रखने का आपने जो प्रयास किया है उसकी प्रशंसा और अनुशंसा के लिये लिए कम—अज़—कम मेरे पास तो शब्द ही नहीं हैं!

मात्र दो वर्ष में इतना अधिक नया—पुराना काव्य सृजन साहित्य प्रेमियों के लिए कविता कोष में जुटा पाना एक सपने जैसा तो लगता है, लेकिन इस सपने को यहाँ सच होते हुए भी हम देख ही पा रहे हैं। आश्वस्त हुआ जा सकता है कि आने वाले कुछ ही वर्षों में विश्व भर का हिन्दी काव्य यहाँ उपलब्ध होगा।

है तेरे साथ अगर तेरे इरादों का जुनूँ,
क़ाफ़िला है तू कभी खु़द को अकेला न समझ

आपका यह संकल्प निरन्तर बना रहे, सुदृढ़ हो!

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आभा बोधिसत्त्व
कविता कोश से जुड़ कर बहुत अच्छा लगा। कविता कोश के साथ क्यों नहीं कथाकोश की शुरुआत करते...अच्छा रहेगा... कविता कोश की उन्नति हो
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सुभाष नीरव
यह हम सब हिंदी प्रेमियों के लिए बड़े गर्व और हर्ष की बात है कि आपने जिस महत्वपूर्ण लेकिन बहुत कठिन काम का सपना देखा था, वह आज एक उपलब्द्धि के रूप में हमारे सामने हैं। नि:संदेह यह दुरुह और श्रमसाध्य कार्य था लेकिन आपकी निष्ठा और लगन ने सिद्ध कर दिया है कि आदमी अगर चाहे तो क्या नहीं कर सकता है। कविता कोश में गत दो वर्षों में 325 से अधिक कवियों की 10,000 रचनाओं को संकलित करके न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए वरन आने वाली नई पीढ़ी के लिए एक बेहद अनूठा और महत्वपूर्ण कार्य कर दिखाया है, इसके लिए आप को और कविता कोश की पूरी टीम को बधाई।
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दिविक रमेश
कविता कोश निस्संदेह हमारा अपना हिन्दी रचना जगत का एक जरूरी वेब जाल हॆ । शुभकामनाएं ऒर बधाई
शैल अग्रवालइस भगीरथ आनन्द लहरी के बारे में क्या लिखूं, कविता कोष वाकई में काव्य प्रेमियों की विश्रामस्थली बन चुका है...दस्तक दो और मित्र हाजिर की भांति सूर तुलसी कबीर से लेकर नीरज और बशीर बद्र तक बच्चन, निराला फैज किस किस का नाम लूं, करीब-करीब सभी तो बस एक क्लिक अवे ! यह बहुमूल्य कविता कोष का खजाना यूं ही दिन दूना और रात चौगुना बढ़ता रहे, इन्ही अशेष शुभकामनाओं के साथ
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डॉ० रमा द्विवेदी
यह जानकर अत्यन्त खुशी हुई कि कविता कोश अपनी अनवरत यात्रा में दूसरा मील का पत्थर स्थापित करने जा रहा है... इतने कम समय में इतनी अधिक रचनाओं का संकलन कविताकोश ने असंभव को संभव कर दिखाया है सच में यह अद्भुत एवं प्रशंसनीय है। ललित जी एवं कविता कोश की पूरी टीम इसके लिए बधाई की हकदार है। कविताकोश इसी तीव्र गति से सफलता के अनन्त शिखरों का स्पर्श करे इन्हीं हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
रचना श्रीवास्तवमहान कवियों की अनमोल कविताओं का अनोखा संग्रह है कविता कोश. जब से जाना है दिन में एक बार तो जरूर ही कविता कोश में विचरण करती हूँ जितना देखती हूँ उतना ही कविताओं के इस महासागर में डूबती जाती हूँ. भगवान से प्रर्थना है की ये यूँ ही उन्नति पथ पे चढता रहे निखरता रहे सवरता रहे और रहती दुनिया तक आपनी वर्षगांठ मनाता रहे.

कवियों की रचनाओं से परिचय करवाता कविता कोश
कविताओं का विशाल सागर है ये कविता कोश
एक व्यक्ति नही पूरी टीम का प्रयास है कविता कोश
हो बधाई सब को जिसने भी सजाया कविता कोश
कवि प्रेमियों का बसेरा है ये कविता कोश

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डॉ० भावना कुँवर
कविता कोश नामक इस साइट ने हिन्दी-जगत को जो अनूठा उपहार प्रदान किया है वह एक निश्चित ही सराहनीय है। इस साइट ने हिन्दी काव्य के हर पहलू एवं अतीत से वर्तमान तक से सभी साहित्यकारों के परिचय एवं उनके साहित्य को दिये योगदान को एक श्रृंखला में पिरोया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि कविता कोश दिन-रात अमर बेल की तरह बढ़ता रहे।

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रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
कविताकोश विश्व के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। अपनी जिस प्राचीन धरोहर को हम प्रिंट माध्यम से सँजोने एवं लोगों तक पहुँचाने में असमर्थ थे; इस कोश के माध्यम से दूर–दराज़ तक पहुँचा सकेंगे एवं हिन्दी समझने वालों को जोड़ सकेंगे। इससे हिन्दी काव्य का फ़लक विस्तृत एवं व्यापक होगा।
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इला कुमार
कविता कोश से परिचित होना हिन्दी कविता के संदर्भ में इकीसवीं सदी के कवि-स्वप्न से रूबरू होने जैसा है; कम से कम मुझे तो ऐसा ही अनुभव हो रहा है।

अंग्रेज़ी शब्दों के महाजाल के बीच स्थित कम्प्यूटर का अनजाना सा दिखनेवाला पर्दा जब अचानक महादेवी वर्मा, अज्ञेय, दुष्यंत कुमार इत्यादि की रचनाओं की दीप्ती तले कौंधने लगता है और विनोद कुमार शुक्ल, अरुण कमल आदि की रचनाओं को प्रस्तुत करने लगता है तो मन में हिन्दी कविता के प्रति आश्वस्ती सी जागती है। सुकून और तसल्ली की लहर हृदय को छूती है, दिलासा देती है कि हिन्दी कविता कहीं न कहीं वयव्यथा के बीच मौजूद है और शायद ऐसे ही आगे भी बनी रहेगी, स्वयं को बनाये रख पाएगी। ये तय है की कविता कोश स्वयं को और अधिक प्रतिष्ठापूर्वक स्थापित कर पाएगा यदि विज्ञान के तीव्र क़दमों के बीच हिन्दी के फ़ॉन्ट को भी ढंग से नियोजित किया जाए।

शुभकामनाएँ।
कविता कोश के लिये!
कविता कोश का प्रथम स्वप्न देखने वाले के लिये!
कविता कोश टीम से सम्बंधित सभी लोगों के लिये।