भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रथम रश्मि / सुमित्रानंदन पंत
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:49, 9 जुलाई 2013 का अवतरण
प्रथम रश्मि का आना रंगिणि!
तूने कैसे पहचाना?
कहाँ, कहाँ हे बाल-विहंगिनि!
पाया तूने वह गाना?
सोयी थी तू स्वप्न नीड़ में,
पंखों के सुख में छिपकर,
ऊँघ रहे थे, घूम द्वार पर,
प्रहरी-से जुगनू नाना।
शशि-किरणों से उतर-उतरकर,
भू पर कामरूप नभ-चर,
चूम नवल कलियों का मृदु-मुख,
सिखा रहे थे मुसकाना।
स्नेह-हीन तारों के दीपक,
श्वास-शून्य थे तरु के पात,
विचर रहे थे स्वप्न अवनि में
तम ने था मंडप ताना।
कूक उठी सहसा तरु-वासिनि!
गा तू स्वागत का गाना,
किसने तुझको अंतर्यामिनि!
बतलाया उसका आना!