भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धातु युग / रवि प्रकाश

Kavita Kosh से
Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:23, 23 अगस्त 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रौंद डालते हैं तुम्हारे बमवर्षक

दुनियां की सरहदें

आसमान में तारों की जगह

टिमटिमाती रहती हैं तुम्हारे बमवर्षकों की बत्तियां !

तुम क्या समझते हो ;

क्या इस युग के सारे हथियार

सिर्फ लोहे बनाए जायेंगे ?

नहीं

ये धातु युग नहीं है

अगर कहते हो इसे ज्ञान और विज्ञान युग

तोह इस युग का हथियार

विचारों से गढ़ा जाएगा

अगर सुन सकते हो तो सुनो !

इस युग का हथियार

जो विचारों से गढ़ा जाएगा

हम गढ़ेगे

और हर चीख का हिसाब मांगेंगे