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नीं जाणै क्यूं ? / कमल रंगा
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आखै सैर में
पसरग्या समचार
गाभण रात
कर’र कूख खाली
नुंवै जलम्यै झांझरकै नै
छोडगी एकलो
नीं जाणै क्यूं?