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सबद / अर्जुनदेव चारण

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बेटा सबद कदेई नीं देवै
आपरौ आपौ
तौई सूंपूं
थनै
कीं अरथ
कै जांण सकै
थूं
वांरौ झूठ

खुद री हूंस
सोधजै
मारग आपरा

मती पाळजै भरम
जे जीव सकै
तौ जीवजै जूंण
कागद सूं न्यारी
सबदां परबारी