भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रेतिनी पिसाच अरु निसाचर निशाचरहू / भूषण
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:41, 29 अप्रैल 2014 का अवतरण
प्रेतिनी पिसाच अरु निसाचर निशाचरहू,
मिलि मिलि आपुस में गावत बधाई हैं.
भैरो भूत-प्रेत भूरि भूधर भयंकर से,
जुत्थ जुत्थ जोगिनी जमात जुरि आई हैं.
किलकि किलकि के कुतूहल करति कलि,
डिम-डिम डमरू दिगम्बर बजाई हैं.
सिवा पूछें सिव सों समाज आजु कहाँ चली,
काहु पै सिवा नरेस भृकुटी चढ़ाई हैं.