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जगत मोहन लाल 'रवाँ'
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जगत मोहन लाल 'रवाँ'
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जन्म | 1889 |
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निधन | 1934 |
जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
जगत मोहन लाल 'रवाँ' / परिचय |
ग़ज़लें
- गुल-ए-वीराना हूँ कोई नहीं है क़द्र-दाँ मेरा / जगत मोहन लाल 'रवाँ'
- होता तो वही जो कुछ क़िस्मत में लिखा होता / जगत मोहन लाल 'रवाँ'
- इसी हवस में के हो उस हसीन के क़ाबिल / जगत मोहन लाल 'रवाँ'
- जीने में थी न नज़ा के रंज ओ महान में थी / जगत मोहन लाल 'रवाँ'
- किसी तरह न मेरे दिल को जब क़रार आए / जगत मोहन लाल 'रवाँ'
- निकल जाए यूँही फ़ुर्कत में दम क्या / जगत मोहन लाल 'रवाँ'
- राह ओ रस्म-ए-इब्तिदाई देख ली / जगत मोहन लाल 'रवाँ'
- ‘रवाँ’ किस को ख़बर उनवान-ए-आग़ाज़-ए-जहाँ क्या था / जगत मोहन लाल 'रवाँ'
- सब को गुमान भी के मैं आगाह-ए-राज़ था / जगत मोहन लाल 'रवाँ'
- शहीद-ए-याब ही वजह-ए-हुसूल-ए-मुद्दा भी है / जगत मोहन लाल 'रवाँ'
- तक़दीर जब मुआविन-ए-तदबीर हो गई / जगत मोहन लाल 'रवाँ'
- वो ख़ुश हो के मुझ से ख़फा हो गया / जगत मोहन लाल 'रवाँ'
- या रब न हो किसी को यूँ हिर्स-ए-आरजू भी / जगत मोहन लाल 'रवाँ'
- यूँही गर साँस में थोड़ी कमी हो जाएगी / जगत मोहन लाल 'रवाँ'
- ज़ाए है नक़द-ए-हस्ती बर्बाद-ए-गुफ़्तगू हूँ / जगत मोहन लाल 'रवाँ'