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दूर की आवाज़ | |
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रचनाकार: | अलेक्सान्दर ब्लोक |
अनुवादक: | वरयाम सिंह |
प्रकाशक: | प्रकाशन संस्थान, नई दिल्ली-110002 |
वर्ष: | 2006 |
मूल भाषा: | रूसी |
विषय: | -- |
शैली: | -- |
पृष्ठ संख्या: | 270 |
ISBN: | -- |
विविध: | -- |
इस पन्ने पर दी गयी रचनाओं को विश्व भर के योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गयी प्रकाशक संबंधी जानकारी प्रिंटेड पुस्तक खरीदने में आपकी सहायता के लिये दी गयी है। |
- रात के धुंधलके से ढकी / अलेक्सान्दर ब्लोक
- रात में जब / अलेक्सान्दर ब्लोक
- भविष्यदर्शी पक्षी गरुड़ / अलेक्सान्दर ब्लोक
- अपनी प्रतिमाओं के आगे... / अलेक्सान्दर ब्लोक
- मेघगर्जनाओं से पहले / अलेक्सान्दर ब्लोक
- याद है क्या तुम्हें... / अलेक्सान्दर ब्लोक
- ऐसे दिनों में जब... / अलेक्सान्दर ब्लोक
- निर्वासन में संशय में / अलेक्सान्दर ब्लोक
- बुलाना नहीं... / अलेक्सान्दर ब्लोक
- मेघगर्जनाओं के बाद / अलेक्सान्दर ब्लोक
- यह शायद अनुगूँज थी... / अलेक्सान्दर ब्लोक
- पृथ्वी की आलोकहीन सहयात्री... / अलेक्सान्दर ब्लोक
- चुप है आत्मा... / अलेक्सान्दर ब्लोक
- तुम्हारा पूर्वाभास... / अलेक्सान्दर ब्लोक
- अज्ञात पारदर्शी छायाएँ / अलेक्सान्दर ब्लोक
- आह्वान की प्रतीक्षा... / अलेक्सान्दर ब्लोक
- यह तुम नहीं थी क्या / अलेक्सान्दर ब्लोक
- प्रतीक्षा न करो / अलेक्सान्दर ब्लोक
- आ गए हैं सुनहले दिन / अलेक्सान्दर ब्लोक
- विश्वास करना / अलेक्सान्दर ब्लोक
- भाग रही हैं परछाइयाँ / अलेक्सान्दर ब्लोक
- मेरे आज के दिन / अलेक्सान्दर ब्लोक
- भाग्यफल बाँचती बुढ़िया की तरह / अलेक्सान्दर ब्लोक
- धुन्ध में कहीं / अलेक्सान्दर ब्लोक
- संक्षिप्त थे भाषण / अलेक्सान्दर ब्लोक
- धर्मप्रचारिका / अलेक्सान्दर ब्लोक
- बुढ़ापा / अलेक्सान्दर ब्लोक
- अँधियारे मन्दिरों से / अलेक्सान्दर ब्लोक
- आएगा वह दिन / अलेक्सान्दर ब्लोक
- ऐसे भी होते हैं क्षण / अलेक्सान्दर ब्लोक / वरयाम सिंह
- कविता से / अलेक्सान्दर ब्लोक / वरयाम सिंह
- घटित हो चुका है सब कुछ / अलेक्सान्दर ब्लोक / वरयाम सिंह
- घबराहट / अलेक्सान्दर ब्लोक / वरयाम सिंह
- बर्फीली धुंध में काला कव्वा / अलेक्सान्दर ब्लोक / वरयाम सिंह
- मुक्ति की तलाश / अलेक्सान्दर ब्लोक / वरयाम सिंह
- याद है क्या तुम्हें / अलेक्सान्दर ब्लोक / वरयाम सिंह
- रोते ही रहते हैं हम / अलेक्सान्दर ब्लोक / वरयाम सिंह
- वे पढ़ते कविताएँ / अलेक्सान्दर ब्लोक / वरयाम सिंह
- शहर के अंधियारे विस्तार के पीछे / अलेक्सान्दर ब्लोक / वरयाम सिंह