भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पितर नेवतौनी / भोजपुरी
Kavita Kosh से
♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
ये सरगऽ में बसेले बर्हम बाबाऽ, उन्हउ के नेवतबि।
ये सरगऽ में बसेले महादेव बाबाऽ, उन्हउ के नेवतबि।
इसी तरह ठाकुर बाबा, सुरुज, खिरलिच, काली, दुर्गा, चन्द्रमा, अछैबट सभी देवता एवं उनकी पत्नी देवी का और सभी कीड़ों-मकोड़ों का भी आवाहन किया जाता है।
दुआरी छेंकौनी गीत
छोड़ीं-छोड़ीं सखी सबे रोकल दुआर हे
मोर दुलहा बाड़े लड़िका नादान हे।
अहिरा के जात हंउअन बोली पतिशाह हे
कइसे में छोड़ीं सखी रोकल दुआर हे
तोर दुलहा बाड़े सखी लड़िका नादान हे।
दुल्हे का उत्तर
अहिरा के जात हईं बोली पतिशाह रे काहे के बाबा तोर गइले पूजन रे। काहे के भइया तोर गइले बोलावे रे।