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डर / राजू सारसर ‘राज’
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डर लागै
बा’रै बावडौ मेलतांई
बिसवास रा
पग जमै कठै
उणां रै हेठै
जमीं कोनीं।
भाई
बाप
सैणां तकात सूं
करतां बंतळ
राखणी पडै़
कीं ना कीं छैटी
कांई ठाह?