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कुछ त्रिवेणियाँ / प्रताप सोमवंशी
Kavita Kosh से
1
प्यार से तेरे मैं भरी हूं बहुत,
जिन्दगी इन दिनों हरी है बहुत।
मैने बस पूछा था तुम खाली हो।
2
फिजा में रंग सब तेरे भरे हैं,
तु्म्हारी याद के बादल घिरे हैं।
चाहता हूं कि अब बरस जाओ।
3
पर्वत जैसे दिन होते हैं,
जब हम तेरे बिन होते हैं।
कैसें नापे इस पल को।
4
बेवजह खुद से कुछ सवाल करूं,
बिसरी बातों का फिर ख्याल करू।
कम से कम याद तो ठहर जाए
5
तेरी तस्वीर मुस्कुराती है,
जब भी कहता हूं याद आती है।
प्यार का रूह से ये रिश्ता है।
6
जिन्दगी इन दिनों हरी है बहुत,
प्यार से तेरे मैं भरी हूं बहुत।
मैने पूछा था कि तुम खाली हो।