भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गळगचिया (44) / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आशीष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:53, 17 मार्च 2017 का अवतरण
कुम्हार घड़ो ल्यायो लेवाळ ठोक बजा, एक आँख मींच'र माँय नै स्यूँ देख र बोल्यो-काम को कोनी पीदै में एक मीयू सो'क बेजको है। लुहार चालणी ले'र आयो-गाहक उलट पुलट देख र बोल्यो-सांतरी है, बेजका मोेकळा है चीज सोरी छणसी।