भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पहुँचनामा / विकाश वत्सनाभ

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:52, 6 मार्च 2017 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अहाँकेँ लिखल अपन
दू गाही अनुत्तरित पत्रक बाद
आब इतिश्री करैत छी
आब नहि हेरब अहाँक बाट
नहिये ब्रॉउज करब
अहाँक फेसबुकिया एल्बम
पेनड्राइव मे सैंतल सहस्त्रो भंगिमा
फोनक मेमोरी मे राखल-
अनगिनत भित्तिचित्र
मुदा कहु कोना मेटाउ मोन सँ
अहाँक गोदना
अहि मनोभाव पर कहाँ चलैछ
कोनोटा यांत्रिक टेक्टिस
.
होयत अछि तेना भ' लिखी जे
पाथर घमि जाय...
मेघ झहरि जाय...
अहाँ बिलमि जाय...
.
एखनहुँ ओहिना सोह अछि
कोना कचनारक पाछाँ
संगे भेल रहि जुआन
कोना आँखिक सब बदमासी गमि
खुआ देने रहि ठोरक पान
सहटि क' कान मे देने रही
संग रहबाक किरिया
.
बिसरनेहों नहि बिसराइत अछि
अहाँक ई पुछब जे-
'कतेक प्रेम करैत छी हमरा सँ
आ हमर ई कहब-
'अहाँ सँ मिसिया भरि बेसी'
.
अहुँ जँ सोह करबै कखनो
मोन परत सबटा,भेटत-
सौँसे देह मे हमर हाथक छाप
मेसायल लिपीस्टिकक परिहास
लेभरायल काजरक अश्रुगीत
उधेसल बीछौनाक अभिसार
भुटकल रोइयाँ सँ बहराइत
पिमही सभक समवेत आक्रोश
की अहाँ तखनो पठेबै
हमर अहि पत्रक पहुँचनामा?