भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रक्तमुख / जानकीवल्लभ शास्त्री

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:56, 6 अप्रैल 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


कुपथ कुपथ रथ दौड़ाता जो
पथ निर्देशक वह है,
लाज लजाती जिसकी कृति से
धृति उपदेश वह है,
मूर्त दंभ गढ़ने उठता है
शील विनय परिभाषा,
मृत्यु रक्तमुख से देता
जन को जीवन की आशा,
जनता धरती पर बैठी है
नभ में मंच खड़ा है,
जो जितना है दूर मही से
उतना वही बड़ा है.