भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अनावश्यक से मुझको प्यार / जहीर कुरैशी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:23, 21 अप्रैल 2021 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अनावश्यक से मुझको प्यार कम है
मेरे खेतों में 'खरपतवार' कम है

अभी तुम कल्पना में उड़ रहे हो
तुम्हारा सत्य से व्यवहार कम है

मैं यूँ तो सारी धरती नाप आया
मगर, मेरे लिए संसार कम है

जो ये जोखिम उठाना चाहता है
वो जोखिम के लिए तैयार कम है

सुखी हो तुम इसी कारण सुखी हो
तुम्हारे मन में हाहाकार कम है

वो प्रतिभावान है, ये तो सही है
मगर, ये भी सही है— धार कम है

बहुत ऊँची इमारत मत उठाओ
अभी उसके लिए आधार कम है