भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ओ आलू कचालू / अनुभूति गुप्ता
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:43, 2 मई 2017 का अवतरण
ओ आलू कचालू,
तुम कहाँ गए थे?
क्या बगिया में
गुम हो गए थे?
बिल्ली मौसी के
साथ खेल रहे थे,
क्या मिट्टी में
लोटपोट हो गए थे?