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फलक पर चांद / कुमार मुकुल
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आकाशगंगाओं पर
चांदनी का कोई दबाव नहीं है
और तारे मार कुलबुला रहे हैं
किसी ने आसमान से
ज़रा सा सिर निकाला हो जैसे
फलक पर झाँकता है चांद
उसके तांबई सिर के नीचे
झाँकती आँख-सा
चमकता एक तारा
पास ही है।