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हमारा देश / महेन्द्र भटनागर
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		आज हमारा देश नया है !
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		ये खेत हज़ारों मीलों तक
		फैले हैं कितने हरे- हरे,
		गेहूँ-मक्का-दाल-चने-जौ
		चावल से सारे भरे - भरे !
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			धरती-माँ का वेश नया है !
 			आज हमारा देश नया है !
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 		इसमें चिड़ियाँ नीली-पीली
 		सित-लाल-गुलाबी गाती हैं,
 		ऊषा अपने गालों पर  प्रति-
		दिन नूतन रंग  सजाती है !
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			बुरा अँधेरा बीत गया है !
			आज हमारा देश नया है !
 
	
	

