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सैसव जौवन दुहु मिल गेल / विद्यापति

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सैसव जौवन दुहु मिल गेल।
श्रवनक पथ दुहु लोचन लेल।।

वचनक चातुरि नहु-नहु हास।
धरनिये चान कयल परकास।।

मुकुर हाथ लय करय सिंगार।
सखि पूछय कइसे सुरत-विहार।।

निरजन उरज हेरत कत बेरि।
बिहुँसय अपन पयोधर हेरि।।

पहिले बदरि सम पुन नवरंग।
दिन-दिन अनंग अगोरल अंग।।

माधव देखल अपरूब बाला।
सैसव जौवन दुहु एक भेला।।

विद्यापति कह तुहु अगेआनि।
दुहु एक जोग इह के कह सयानि।।