भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तृप्तिबोध / हरीश बी० शर्मा

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:14, 29 अगस्त 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तृप्तिबोध
तूने दिया
तूने बताया मैने पीया हलाहल
अब बच नहीं पाऊंगा
.....
तुझे क्या पता
तेरा यही रूप देखने
जी रहा था मैं
हाँ, अतृप्त