भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यही हुआ / प्रताप सहगल

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:59, 14 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
मैंने
ग्लोब पर
ज्यों ही हाथ लगाया

मेरी उंगलियों के
अग्रभाग
जल गए

और मैं
उपचार के लिए
न्यायालय में चला आया