भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नींद / फ़राज़
Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:42, 20 नवम्बर 2009 का अवतरण
नींद
सर्द <ref>ठंडी</ref>पलकों की सलीबों <ref>चौपड़ जैसी सूली</ref>से उतारे हुए ख़्वाब<ref>स्वप्न</ref>
रेज़ा -रेज़ा<ref>टुकड़े</ref>हैं मिरे सामने शीशों की तरह
जिन के टुकड़ों की चुभन,जिनके ख़राशों <ref>रगड़
</ref>की जलन
उम्र-भर जागते रहने की सज़ा देती है
शिद्दते-कर्ब<ref>दर्द की अधिकता</ref>से दीवाना बना देती है
आज इस क़ुर्ब<ref>सामीप्य</ref>के हंगाम<ref>भीड़</ref>वो अहसास<ref>संवेदना</ref>कहाँ
दिल में वो दर्द न आँखों में चराग़ों का धुवाँ
और सलीबों से उतारे हुए ख़्वाबों की मिसाल<ref>उदाहरण</ref>
जिस्म गिरती हुई दीवार की मानिंद<ref>भाँति</ref>निढाल
तू मिरे पास सही ऐ मिरे आज़ुर्दा-जमाल<ref>पीड़ित सौंदर्य</ref>
शब्दार्थ
<references/>