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इंद्रधनुष में जैसे रंग / देवमणि पांडेय

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इंद्रधनुष में जैसे रंग
ख़्वाब रहे हैं मेरे संग।

उस चेहरे ने दस्तक दी
तन-मन में भर गई उमंग।

प्रेम नगर मे पता चला
चाहत की गलियाँ हैं तंग।

मैं कुछ ऐसे तन्हा हूँ
जैसे कोई कटी पतंग।

ख़ुशबू ने फूलों से कहा
जीना-मरना तेरे संग।

लमहे में सदियाँ जी लें
हम तो ठहरे, यार, मलंग।