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घनानंद
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घनानंद
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जन्म | 1689 ईसवी (लगभग) |
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निधन | 1739 ईसवी (लगभग) |
जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
घनानंद / परिचय |
- सुजान सागर / घनानंद (कविता-संग्रह)
- प्रिया प्रसाद / घनानंद
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- वहै मुसक्यानि, वहै मृदु बतरानि, वहै / घनानंद
- लाजनि लपेटि चितवनि / घनानंद
- झलकै अति सुन्दर आनन गौर / घनानंद
- छवि को सदन मोद मंडित / घनानंद
- जासों प्रीति ताहि निठुराई / घनानंद
- भोर तें साँझ लौ कानन ओर निहारति / घनानंद
- भए अति निठुर / घनानंद
- हीन भएँ जल मीन अधीन / घनानंद
- मीत सुजान अनीत करौ जिन / घनानंद
- पहिले घन-आनंद सींचि सुजान कहीं बतियाँ / घनानंद
- क्यों हँसि हेरि हियरा / घनानंद
- प्रीतम सुजान मेरे हित के / घनानंद
- तब तौ छबि पीवत जीवत है / घनानंद
- पहिले अपनाय सुजान सनेह सों / घनानंद
- रावरे रूप की रीति अनूप / घनानंद
- आस ही अकास / घनानंद
- घनआनँद जीवन मूल सुजान की / घनानंद
- जेतो घट सोधौ पै न पाऊँ / घनानंद
- आँखैं जौ न देखैं / घनानंद
- जहाँ तें पधारे मेर नैननि / घनानंद
- धनआनंद रसऐन, कहौ कृपानिधि / घनानंद
- पहचानै हरि कौन / घनानंद
- आसा-गुन बाँधि कै / घनानंद
- अन्तर आँच उसास / घनानंद
- जान के रूप लुभाय / घनानंद
- जानराय जानत सबैं / घनानंद
- लै ही रहे हो / घनानंद
- खोय दई बुधि सोय गई सुधि / घनानंद
- घेर घबरानी उबरानी / घनानंद
- बिकच नलिन लखें / घनानंद
- तब ह्वै सहाय हाय / घनानंद
- रोम रोम रसना ह्वै / घनानंद
- चातिक चुहल चहुँ ओर / घनानंद
- जीवन हौ जिय की सब जानत / घनानंद
- चोप चाह चावनि चकोर / घनानंद
- मोही मोही जनाय कै / घनानंद
- बिष लँ बिसारयौ तन / घनानंद
- सूझ नहीं सुरझ उरझि / घनानंद
- अन्तर उदेग दाह / घनानंद
- नेह-निधान सुजान-समीप / घनानंद
- नैनन में लागै जाय / घनानंद
- पाती-मधि छाती-छत लिखि न लिखाए / घनानंद
- कंत रमै उर अन्तर में / घनानंद
- चंह चकोर की चाह करै / घनानंद
- ज्यौं बुधि सो सुघराई / घनानंद
- हिये में जु आरति / घनानंद
- पाप के पुंज सकेलि / घनानंद
- साधनि ही मरियैं / घनानंद
- उठि न सकत / घनानंद
- सुखनि समाज साज सजे / घनानंद
- तपति उदास औधि / घनानंद
- अकुलानि के पानि परयौ / घनानंद
- राति-द्यौस कटक सजे / घनानंद
- जान प्यारी हौं / घनानंद
- सुधा तें स्रवत बिष / घनानंद
- गरल-गुमान की गरावनि दसा / घनानंद
- बिकल बिषाद-भरे / घनानंद
- सोएँ न सोयबो / घनानंद
- मरिबो बिसराम गनै वह तौ / घनानंद
- तेरे देखिबे कों / घनानंद
- लगी है लगन प्यारे पगी है / घनानंद
- कौन की सरन जैये / घनानंद
- अधिक बधिक तें / घनानंद
- मेरो जीव तोहिं चाहै / घनानंद
- मुरझान सबै अंग / घनानंद
- निस-द्यौस खरी उर-माँझ अरी / घनानंद
- किहि नेह बिरोध बढ़्यो सबसों / घनानंद
- इस बाँट परी सुधि / घनानंद
- बधिकौ सुधि लेत सुन्यौ / घनानंद
- ए रे वीर पौन / घनानंद
- एकै आस एकै बिसवास / घनानंद
- रंग लियौ अबलानि के अंग / घनानंद
- पीरी परि देह छीनी / घनानंद
- घर ही घर / घनानंद
- फागुन महीना की कही ना परै / घनानंद
- सोंधे की बास उसासहि रोकति / घनानंद
- सुनि री सजनी रजनी की कथा / घनानंद
- मन जैसे कछु तुम्हें चाहत / घनानंद
- लगियै रहै लालसा / घनानंद
- अति सूधो सनेह को मारग है / घनानंद
- करुवो मधुर लागै / घनानंद
- कारी कूर कोकिला / घनानंद
- बैरी बियोग की हूकनि / घनानंद
- अंतर मैं बासी / घनानंद
- कित को ढरि गौ / घनानंद
- घनआनँद प्यारे सुजान सुनो जिही भाँतिन / घनानंद
- बिरहा-रबि सौं घट-व्योम / घनानंद
- इत भायनि भाँवरे भौंर / घनानंद
- मोहन अनूप रूप सुन्दर / घनानंद
- क्यौंहूँ न चैन परै दिन रैन / घनानंद
- जोई रात प्यारे-संग / घनानंद
- जिन आँखिन रूप-चिह्नारि / घनानंद
- घर बन बीथिन मैं / घनानंद
- बिरच्यौ किहि दोष / घनानंद
- पूरन प्रेम को मंत्र / घनानंद
- जीव की बात जनाईये क्यौं / घनानंद
- तोहि तौ खेल पै / घनानंद
- मही-दूध सम गनै / घनानंद
- परकाजहि देह को धारि फिरौ / घनानंद
- बरसै तरसै सरसै अरसै न् / घनानंद
- स्याम घटा लपटी थिर बीज / घनानंद
- प्रेम को महोदधि अपार / घनानंद
- बहुत दिनान के अवधि-आस-पास परे / घनानंद
- वैस की निकाई, सोई रितु सुखदाई / घनानंद
- सावन आवन हेरि सखी / घनानंद
- फैलि रही घर अंबर पूर / घनानंद
- अरी निसि नींद न आवै / घनानंद
- पिय के अनुराग सुहाग भरी / घनानंद
- खेलत खिलार गुन-आगर उदार राधा / घनानंद
- बैस नई, अनुराग मई / घनानंद
- राधा नवेली सहेली समाज में / घनानंद
- पकरि बस कीने री नँदलाल / घनानंद
- कहाँ एतौ पानिप बिचारी पिचकारी धरै / घनानंद
- घनआनँद प्यारे कहा जिय जारत / घनानंद
- दसन बसन बोली भरि ए रहे गुलाल / घनानंद
- होरी के मदमाते आए / घनानंद
- मोसों होरी खेलन आयो / घनानंद
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