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स्वार्थ / भारत भूषण अग्रवाल

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दोष किसे दूँ जब कि सब कुछ मैंने ही किया है
मैंने ही चाहा था कि सब आकर मेरा पानी भरें
मैंने अच्छी तरह हिसाब करके
सबके लिए ड्यूटियाँ तय कर दी थीं
जिनका लक्ष्य था- मैं -केवल मैं
और जिनके पूरे होने पर बदले में
मैं मुस्कराने की कृपा करने वाला था
--क्या इसी को स्वार्थ नहीं कहते ?