भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भींत कोनी मानी / विनोद स्वामी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:18, 18 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भींत में थान है
थान में देवता
आरती सूं
देवता तो मानता रैया
पण
भींत कोनी मानी
एक दिन
दाब मार्या
देवतावां नै भींत!