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अरदास / मदन गोपाल लढ़ा

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तमसो मा ज्योतिगर्मय
अधंकार सूं उजाळै कांनी
बधणै री म्हारी अरदास !

बापजी !
एड़ो उजाळो
तावड़ै जैड़ो आकरो
पळपळाट करतो
चूंधी चढ़ांवतो
ओळखांण अबखी हुयगी।

थमो परमात्मा !
कांई फरक रैवैला पछै
अंधारे अर उजाळै में।

गोबर लीप्योड़ै आंगणै
जगमगांवतै
माटी रै दिवलै रो
च्यानणो चाइजै मालिक !
ठंडो अर सुवावणो
अंधारै री तासीर नै
जड़ांमूळ खिंडावतो।