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ओ टूकड़ौ / रामस्वरूप किसान

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बै दसेक मिनट
जका ट्टी बैठण आळी
कुई में बीतै
भौत कीमती है
म्हारै सारू

म्है इण स्यांत
अर विघन विहूणै
टेम रै टुकड़ै रौ
आभारी हूं
म्हारै सिरजण री
थीम रौ
जमी है
टो टुकड़ौ।