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प्यार की बात न कर, प्यार को बस रहने दे / गुलाब खंडेलवाल
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प्यार की बात न कर प्यार को बस रहने दे
दिल में कुछ और तड़पने की हवस रहने दे
डाल फूलों की लचकती है हवा लगते ही
खेल आँखों का है आँखों में ही बस रहने दे
प्यार पर आँच न आ जाय, ठहर, दिल की तड़प!
यों न आँखों से लहू बनके बरस, रहने दे
चैन पायेंगे कभी और किसी दुनिया में
आज चलता नहीं तक़दीर पे बस, रहने दे
छीन मत हमसे पुतलियों की महकती ख़ुशबू
अपनी लट खोल के छितरा दे बहस रहने दे
ज़िन्दगी ऐसे ही मस्ती में गुज़र जाने दे
तार ढीले ही सही, तार न कस, रहने दे
खींच लायें हैं उन्हें आपकी बांहों में गुलाब
थोडा काँटों को भी इस बात का जस रहने दे