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मैंने कहा / अनिल जनविजय

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मैंने कहा--

अकेला हूँ मैं मास्को में

वसंत आया मेरे पास भागकर

साथ लाया

टोकरी भर फ़ूल

बच्चों की खिलखिलाहटें

पेड़ॊं पर हरी पत्तियाँ


मैंने कहा--

अकेला हूँ मैं

याद आई तुम्हारी

प्रेम आया

इच्छा आई मन में तुम्हें देखने की


मैंने कहा--

अकेला नहीं हूँ मैं

स्नेह है तुम्हारा मेरे साथ

लगाव है

तुम्हारे चुम्बनों की निशानियाँ हैं

मेरे चेहरे पर अमिट

स्मृति में तुम्हारा चेहरा है

तुम्हारी चंचल शरारतें हैं


मैंने कहा--

अकेला नहीं हूँ मैं

प्रिया है मेरी, मेरे पास

मेरे साथ


(1998)