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हर क़दम यह राह मुश्किल और है / गुलाब खंडेलवाल
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हर क़दम यह राह मुश्किल और है
सामने मंजिल के मंजिल और है
प्यार की शुहरत हुई तो क्या हुआ!
प्यार में मरने का हासिल और है
कौन जाए छोड़कर अब दर तेरा
हमने यह माना कि मंज़िल और है
हो भले ही ज़िन्दगी गुड़ियों का खेल
जो न घबरा जाय वह दिल और है
तू कहाँ इन ऐशगाहों में, गुलाब!
तेरे दीवानों की महफ़िल और है