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कोई हमें सताये, सताता ही जाये तो / गुलाब खंडेलवाल

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कोई हमें सताए, सताता ही जाए तो
हम क्या करें जो मौत भी आकर न आये तो!

झूठा है प्यार, उनमें जो रंगत नहीं आये
कोई हमारी आँखों से आँखें मिलाये तो!

अब और कुछ बने न बने, खुश हैं हम कि आज
बातें हमारी सुनके ही वे मुस्कुराए तो

माना कि आज रूप ने परदा उठा दिया
हम क्या करें नज़र ही अगर उठ न पाये तो!

यादों पे कल हमारी चढायेंगे फूल वे
उनकी बला से जाए अगर जान जाए तो

देखें ग़ज़ल में रंग जमाता है यहाँ कौन
कोई ज़रा गुलाब-सी खुशबू उडाये तो!