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जान उन पर लुटाके बैठ गए / गुलाब खंडेलवाल

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जान उन पर लुटाके बैठ गए
हम भी उस दर पे जा के बैठ गए

लाख तूफ़ान उठ रहे थे, मगर
दिल को पत्थर बनाके बैठ गए

क्या हुआ छू गयी जो लट उनकी!
हम ज़रा छाँव पाके बैठ गए

लीजिये मूँद ली आँखें हमने
आप क्यों मुँह फिराके बैठ गए!

साँस में फूल-से महकने लगे
वे जो परदे में आके बैठ गए

वे भी आये हमारे मातम को
आये, कुछ मुस्कुराके बैठ गए

जिनको भाती रही गुलाब की रूह
अब वे मेंहदी लगाके बैठ गए