भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गम रहा जब तक कि दम में दम रहा / मीर तक़ी 'मीर'
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:18, 10 सितम्बर 2007 का अवतरण
गम रहा जब तक कि दम में दम रहा
दिल के जाने का निहायत गम रहा
हुस्न था तेरा बहुत आलम फरेब
खत के आने पर भी इक आलम रहा
मेरे रोने की हकीकत जिस में थी
एक मुद्दत तक वो कागज नम रहा
जामा-ऐ-एहराम-ऐ-ज़ाहिद पर न जा
था हरम में लेकिन ना-महरम रहा