भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आजकल / नवनीत पाण्डे

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:55, 4 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>समंदर में नहीं तैरती मछली मछली में तैरता है समंदर नहीं है कुछ भ…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

समंदर में नहीं तैरती मछली
मछली में तैरता है समंदर
नहीं है कुछ भी
बाहर के बाहर
और न ही कुछ
अंदर के अंदर
शेरनियां जनने लगी है चूहे आजकल
सांपिनों की कोख से
पैदा हो रहे हैं बंदर