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इस पार उस पार / संगीता गुप्ता
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इस पार उस पार
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रचनाकार | संगीता गुप्ता |
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इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
रचनाकार ने इस पुस्तक को अपने हस्तलिपि में ही प्रकाशित किया है। इसलिए इस पुस्तक की स्कैन कॉपी जल्द ही आपको इस पन्नें पर उपलब्ध कराई जाएगी। पुस्तक में शामिल कविताओं के शीर्षक नीचे दिए जा रहे हैं।
- कविता
- मत दो वैभव
- मेरा ‘मैं’
- सुख-दुख से दूर
- आसपास
- अभिशप्त मैं
- हर मोड़ पर
- अन्दर ही अन्दर
- दुख
- अर्थ खो देते हैं
- सुन कर बोल कर
- संक्रमण के इस दौर में
- प्यार
- जिन्दगी
- तुम्हे याद करना
- उत्सव मनाने जैसा है
- जीवन छोटा है
- सब कुछ उजड़े-बिखरे
- द्वीप
- बांधता नहीं
- तुम्हारा पल दो पल का साथ
- बहुत अच्छा लगता है
- जाड़ो की अलसाई सुबह
- बचपन की कहानियों में
- एक तुम्हारे जाने से
- अनायास तुम से मिलना
- अनुरागी हूँ
- इस पार उस पार
- विरासत में
- आये दिन उमड़ते
- धरती
- न शोर न सन्नाटा
- फूटने दो
- जो है
- परत दर परत
- जिनके जीवन में
- डर
- मोर्चा
- बहाना मत ढूंढ़ो
- सच्चे दोस्त के मानिंद
- मौत
- पत्थरों के शहर में
- मेरे बाद
- तुम्हें जाना तो पाया
- मन की जमीन पर
- न जाने कहाँ से
- अपने अंधेरो से
- एक अरसे से मेरे
- यह कैसी पुलक है
- आकाश जिसे गले लगाने को
- बियाबान जंगल में
- सागर
- उछलती कूदती चंचल लहरों में
- मुझे बताओ सागर
- आज तुम्हें
- तेरा दुनिया में आना
- उस देश की बेटी हूँ
- मैं भी इस देश की नागरिक हूँ