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कवि का गीत / हरिवंशराय बच्चन

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गीत कह इसको न दुनियाँ
यह दुखों की माप मेरे !

१.

काम क्या समझूँ न हो यदि
गाँठ उर की खोलने को ?
संग क्या समझूँ किसी का
हो न मन यदि बोलने को ?
          जानता क्या क्षीण जीवन ने
          उठाया भार कितना,
    बाट में रखता न यदि
    उच्छ्वास अपने तोलने को ?
हैं वही उच्छ्वास कल के