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बसहाँ चढल मतबलबा आगे माई शंकर जी दुलहबा / मैथिली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बसहाँ चढल मतबलबा आगे माई शंकर जी दुलह्बा
कौने हात डमरु शोभे कौने त्रीशुल धारि
कहाँ सँ बहैछै गंगा के धरबा आगे माई शंकर जी दुलह्बा

बायाँ हाते डमरु शोभे दहिने त्रीशुल धारि
जटबा सँ बहैछै गँगाके धरबा आगे माई शंकर जी दुलह्बा

कहाँ बिभुत शोभे, कहाँ रुद्र माला
कहाँ शोभै छै मृगके छाला आगे माई शंकर जी दुलह्बा

अगँ बिभुत शोभे, गले रुद्र माला
डाँरो में शोभेला मृग के छाला, आगे माई शंकर जी दुलह्बा
बसहाँ चढल मतबलबा…