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ऐ दिन / प्रमोद कुमार शर्मा

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नीं लिख सक्यौ
‘‘परेस’’ ने खत तीन महिनां सूं
नीं करसक्यौ
कपड़ा रै इस्तरी आज ई !
नीं जा सक्यौ
मोहन री मां री मोकाण
नीं खा सक्यौ
घरवाळी साथै
बजार जा‘र
आइसक्रीम।
अबै सोचूं:
ओ कांई करूं हूं
जीवूं हूं
कै रोजिना
थोड़ौ-थोड़ौ मरूं हूं !