भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सारथी / राजूराम बिजारणियां

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:58, 16 अक्टूबर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजूराम बिजारणियां |संग्रह=चाल भ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आखर-आखर रच देवै
लोक-परलोक बिचाळै
बीजी दुनियां।

उभो कर देवै
हुवती-अणहुवती सोच रो
झीणों पड़दो
आपणै बिचाळै।

सूरज पीळो-पट्ट
चांद धोळो-धप्प
मुळकता मूंडा
गोरा-गट्ट बण

नाचै-गावै
मोद मनावै
रथ भजावै
सबदां रै पाण

जिणरो
सारथी बणै कवि

सिखावै दांव
जूण जुद्ध रा

करावै भेद
ओपरै-परायै में

निकाळै नितार
झूठ-सांच रो

सांचाणी-
पड़तख खड़îो कलमधर
कोनी भगवान
पण कीं तो बेसी है
नाजोगै माणस सूं.!