भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

याद / शिवराज भारतीय

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:12, 7 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवराज भारतीय |संग्रह=उजास रा सुपना / शिवराज भा…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


सगळा जाणैं
कै मिनख
पाणी वालो बुलबुलो
एक पग उठावै
दुजै री आस इज नीं
पण फैर बी
हाथ नै हाथ खावै
किण नै बी
‘नारायण इक मौत को
दूजे श्री भगवान’
चेतैं नीं आवै।